सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना अपने फेयरवेल स्पीच के दौरान भावुक हो गए. अपने विदाई समारोह के दौरान उन्होंने कई बातों का जिक्र किया. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई समारोह में जस्टिस खन्ना ने कहा कि मैंने पिछले 50 वर्षों में कई विदाई समारोहों में हिस्सा लिया है लेकिन आज मैं बहुत खुश हूं.
उन्होंने कहा कि मैं खुद को धन्य समझता हूं कि मैंने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त होने का गौरव प्राप्त किया. यह वास्तव में एक सपना पूरा होने जैसा है. मुझे आज भी याद है जब मैंने अपने पिता को एक सिविल जज के रूप में अपने करियर की शुरुआत करते देखा था और बाद में वे दिल्ली हाई कोर्ट के जज बने. वे शुरुआती अनुभव मेरे ऊपर गहरा प्रभाव छोड़ गया.
2000 से 2005 तक का समय काफी चुनौतीपूर्ण रहा
साल 2000 से 2005 तक का समय मेरे लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा. मैंने समझा कि एक जज का जीवन कितना कठिन और थकाऊ हो सकता है. ऐसे भी दिन आए जब हमें बहुत ही कम समय में 75 से 100 मामलों की सुनवाई करनी पड़ी. उस दौरान मैंने कई फैसले सुरक्षित रखे. 59 साल की उम्र में मुझे भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया. 64 साल की उम्र में मैं भारत का मुख्य न्यायाधीश बना. आज सुबह अपने अंतिम कार्यदिवस पर मैंने गहन शांति और संतुष्टि का अनुभव किया. यह जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत है.
कानूनी पेशे में बिताए गए ये 40 साल वास्तव में मुझे गढ़ने वाले रहे हैं. मेरी मां लेडी श्रीराम कॉलेज में प्रोफेसर थीं. वे कभी नहीं चाहती थीं कि मैं वकील बनूं. एक वकील के रूप में मुझे अपना खुद का चैंबर पाने में पूरे 17 साल लग गए. 11 नवंबर 2024 को जस्टिस संजीव खन्ना को सुप्रीम को कोर्ट का सीजेआई नियुक्त किया गया था और वह आज रिटायर हो रहे हैं.